1993 में बन सकता था झारखंड‚ आजसू ने झामुमो-कांग्रेस पर लगाया सौदे का आरोप

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रांची, 3 — झारखंड की राजनीति रविवार को एक बार फिर गर्मा गई जब आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर ने राजधानी रांची स्थित स्थानीय परिसदन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर तीखे आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य का गठन वर्ष 1993 में ही संभव था, यदि उस समय झामुमो और कांग्रेस ने सौदेबाजी न की होती।प्रवीण प्रभाकर ने स्पष्ट कहा, “यदि 1993 में राजनीतिक सौदेबाज़ी न होती, तो झारखंड का सपना उसी वर्ष साकार हो जाता।” उन्होंने इसे झारखंडवासियों की आकांक्षाओं और आंदोलन के साथ सीधा विश्वासघात करार दिया। उन्होंने दावा किया कि आजसू पार्टी ने राज्य निर्माण के लिए लगातार संघर्ष किया, लेकिन सत्ता में रही ताकतों ने अपने स्वार्थ के लिए इस ऐतिहासिक मौके को गंवा दिया।
संवाददाता सम्मेलन में विकास योजनाओं पर भी सवाल उठाए गए। प्रभाकर ने कहा कि राज्य सरकार केवल पुरानी योजनाओं का नाम बदलने में लगी हुई है, जबकि धरातल पर कोई ठोस विकास कार्य नहीं हो रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले चार महीनों में विकास मद में कोई खर्च नहीं किया गया है, और सरकार केवल आर्थिक संसाधनों की ‘जुगाड़’ में उलझी हुई है।
ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए आजसू नेता ने 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग को दोहराया। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय का आवश्यक कदम बताया और कहा कि सरकार इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखा रही। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।प्रेस वार्ता के दौरान ‘अटल क्लिनिक’ का नाम बदलने को लेकर भी सरकार पर हमला बोला गया। प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि इसे मदर टेरेसा के नाम पर रखने का प्रयास दोनों महान व्यक्तित्वों का अपमान है।
उन्होंने कहा कि सरकार बिना दूरदर्शिता के कार्य कर रही है और इससे जनता में भ्रम और असंतोष फैल रहा है।इस संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता संजय सिंह, परवाज खान, अप्पू तिवारी, देवाशीष चट्टोराज और अभय सिंह भी उपस्थित रहे। सभी नेताओं ने सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर असंतोष जताया और भविष्य में जनआंदोलन की चेतावनी दी।