एक ऐसा देश जहाँ स्कूल मे सफाई कर्मी और सुरक्षा कर्मी नही होते, इनका पूरा के काम के साथ शौचालय तक की सफाई करते है विद्यार्थी

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जापानी स्कूलों में एक अनोखी पहल की जाती है, जहां छात्रों को अपने स्कूल की सफाई खुद करनी होती है, जिसमें शौचालय तक की सफाई शामिल है। यह तरीका छात्रों को जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना सिखाता है, साथ ही टीम वर्क और अनुशासन की महत्ता भी समझने में मदद करता है।जापानी स्कूलों की विशेषताएं-
*छात्रों की भागीदारी*:
छात्रों को सफाई और अन्य कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है, जिससे उन्हें जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने में मदद मिलती है।-
*अनुशासन और टीम वर्क*:
छात्रों को समूहों में बांटा जाता है और उन्हें बारी-बारी से काम सौंपे जाते हैं, जिससे उन्हें टीम वर्क और अनुशासन की महत्ता समझने में मदद मिलती है।-
*आत्मनिर्भरता*:
जापानी स्कूलों में छात्रों को अपने काम खुद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे उन्हें आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भावना विकसित करने में मदद मिलती है।
इस पहल के लाभ-
*जिम्मेदारी की भावना*:
छात्रों को अपने स्कूल की सफाई की जिम्मेदारी लेने से जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।-
*आत्मनिर्भरता*:
छात्रों को अपने काम खुद करने से आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भावना विकसित होती है।- *टीम वर्क*: छात्रों को समूहों में काम करने से टीम वर्क की महत्ता समझने में मदद मिलती है।यह पहल छात्रों के भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है और उन्हें जिम्मेदार और आत्मनिर्भर नागरिक बनने में मदद करती है।
भारत के मध्यप्रदेश मे भी यह परम्परा आरंभ
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक स्कूल में छात्रों को शौचालय और स्कूल की सफाई खुद करनी पड़ती है, क्योंकि स्कूल में सफाई कर्मचारी नहीं हैं। इस पहल का उद्देश्य छात्रों में जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करना है। इससे छात्रों को सफाई के महत्व, टीम वर्क और अनुशासन की महत्ता समझने में मदद मिलेगी और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए तैयार किया जा सकेगा।