July 13, 2025

अर्का जैन यूनिवर्सिटी में ‘शिखर: द जर्नी ऑफ एन एंटरप्रेन्योर’ का भव्य आयोजन

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“आइडिया किसी की जागीर नहीं”- डॉ. अमित श्रीवास्तव –

जमशेदपुर। आरका जैन विश्वविद्यालय के माइकल जॉन सभागार में शनिवार को ‘शिखर: द जर्नी ऑफ एन इंटरप्रेन्योर’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के सफल उद्यमियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।

आयोजन में उपस्थित शिक्षाविद, उद्यमी एवं विद्यार्थीगण

यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार अमित श्रीवास्तव ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “आइडिया किसी की जागीर नहीं होती, जो मेहनत करता है, वही सफलता का हकदार होता है।” उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे नए विचारों पर काम करें और जोखिम लेने से न डरें।
डॉ अमित ने कहा कि कोई भी कार्य आरम्भ करने के लिए समय सही और गलत नहीं होता हमारी मेहनत उसे एक अंजाम तक ले जाती है।

कार्यक्रम में देवांग गांधी, विकास सिंह, ऋतू रूंगटा, रोनाल्ड डी’कोस्टा, गौरव मारवाह और सतीश अग्रवाल जैसे प्रख्यात उद्यमी शामिल हुए।

शहर के प्रतिष्ठित उद्यमी देवांग गांधी ने कहा, “जब आप नौकरी करते हैं, तो आप केवल अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाते हैं, लेकिन एक उद्यमी बनने पर आप अपने साथ काम करने वाले लोगों और समाज की भी जिम्मेदारी लेते हैं।” जिम्मेदारी लेना ही उद्यमता की पहली सीढ़ी है l

उद्यमी बनने के लिए डिग्री नहीं, जज्बा जरूरी होता है। हर असफलता एक नया सबक देती है। जो बाजार की जरूरत को समझे, वही असली विजेता है। स्टार्टअप केवल बिजनेस नहीं, सोचने का एक नया तरीका है। यह बात प्रतिष्ठित उद्यमी विकास सिंह ने कही।

एक महिला उद्यमी समाज की सोच बदलने की शक्ति रखती है। हर रुकावट को अवसर में बदलना ही असली सफलता है। सपनों को साकार करने के लिए आत्मविश्वास सबसे जरूरी हथियार है। जहां दूसरों को चुनौती दिखती है, वहीं हमें रास्ता बनाना है। ऋतू रूंगटा ने युवाओ को संबोधित करते हुए ये विचार को रखा ।

व्यवसाय केवल लाभ नहीं, मूल्य निर्माण का माध्यम होना चाहिए। एक अच्छा उद्यमी समाज के लिए समाधान लेकर आता है। ग्राहक की जरूरतों को समझना ही सफलता की कुंजी है। स्थिरता नहीं, नवाचार ही उद्यमिता का आधार है ये रोनाल्ड डी’कोस्टा के विचार व्यक्त किए।

गौरव मारवाह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि एक विचार लाखों ज़िंदगियाँ बदल सकता है। सही समय पर लिया गया निर्णय, भविष्य तय करता है। टीम बनाना और भरोसा करना उद्यमी की असली कला है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में युवा उद्यमियों की बड़ी भूमिका है।

हर छोटा कदम बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकता है। उद्यमिता में डर से नहीं, विश्वास से काम होता है।
विफलता को स्वीकार करना ही अगली सफलता की सीढ़ी है। जो कुछ नया सोचता है, वही दुनिया बदलता है। उक्त बातें सतीश अग्रवाल ने व्यक्त किए।

कार्यक्रम में डॉ अंगद तिवारी, डॉ एस एस रज़ी, पारस नाथ मिश्रा, डॉ पोम्पी सेनगुप्ता तथा अन्य सभी शिक्षकगण उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को उद्यमिता की दिशा में प्रेरित करना और वास्तविक जीवन के अनुभवों से सीखने का अवसर देना था। छात्र-छात्राओं ने वक्ताओं से सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासाएं भी शांत कीं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शिक्षकों की उपस्थिति रही।

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