परम पुरुष की प्राप्ति भक्ति और साधना से ही संभव : सुनील आनंद

जमशेदपुर। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से गदरा आनंद मार्ग जागृति में तीन घंटे का “बाबा नाम केवलम” अखंड कीर्तन आयोजित किया गया। इस अवसर पर 200 नारायणों को भोजन, वस्त्र और पौधा वितरण किया गया। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में जाकर परमात्मा के भाव का संदेश दिया गया। बारीगोड़ा में आयोजित एक तत्व सभा को संबोधित करते हुए सुनील आनंद ने कहा कि मनुष्य का हृदय ही परम पुरुष का वास स्थान है। मनुष्य परमात्मा की खोज में इधर-उधर भटकता है, जबकि सच्चाई यह है कि मनुष्य का शरीर ही मंदिर है और हृदय में ही परम पुरुष का वास है। इस मंदिर का पौरोहित स्वयं मनुष्य ह उन्होंने कहा कि परम पुरुष को जानने के लिए भक्ति की आवश्यकता है। यह भक्ति किसी भौतिक वस्तु से पूर्ण नहीं होती। इसके लिए कीर्तन और साधना करनी पड़ती है। “बाबा नाम केवलम” अनन्य भाव का कीर्तन है, जिसमें केवल “तुम ही हो” का भाव होता है। सुनील आनंद ने कहा कि जब भक्त यह अनुभव करता है कि “मेरे पिता परमपिता परमेश्वर ही मेरे मालिक हैं”, तभी जीवन का असली सार प्रकट होता है। ऐसे भाव का अनुभव भाग्यशाली भक्तों को ही होता है। इस भाव के आने से जीवन की समस्याओं का व्यवहारिक समाधान स्वतः होने लगता है।उन्होंने आगे कहा कि यदि कीर्तन और साधना से भक्तों का जीवन सतोगुण की ओर अग्रसर होगा तो पृथ्वी पर तमोगुण और रजोगुण का प्रभाव कम होगा और सतोगुणी शक्ति के बढ़ने से सृष्टि का कल्याण संभव है।

