जागरूकता ही सशक्तिकरण की कुंजी : डॉ. एसएस रजी

जागरूकता ही सशक्तिकरण की कुंजी
एमजीएम हॉस्पिटल डिमना में अरका जैन विश्वविद्यालय का विशेष कार्यक्रम आयोजित, महिलाओं व किशोरियों के स्वास्थ्य पर केंद्रित पहल
जमशेदपुर : अरका जैन विश्वविद्यालय की ओर से महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल हॉस्पिटल, डिमना में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। “स्वस्थ नारी, सशक्त नारी” थीम पर आयोजित यह कार्यक्रम स्कूल ऑफ नर्सिंग और आंतरिक शिकायत समिति के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना और विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करना था।
मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता
नर्सिंग छात्राओं ने प्रतिभागियों को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मासिक धर्म महिला शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसके दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना बेहद आवश्यक है। कार्यक्रम में सेनेटरी उत्पादों के सही उपयोग और सुरक्षित निपटान की जानकारी दी गई। साथ ही समाज में प्रचलित भ्रांतियों जैसे रसोई में प्रवेश पर रोक या विशेष भोजन से परहेज़ जैसी धारणाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खारिज किया गया।
पोषण और संतुलित आहार पर चर्चा
सत्र के दूसरे चरण में पोषण पर जोर दिया गया। छात्राओं ने बताया कि संतुलित आहार महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी है। विशेष रूप से किशोरियों के लिए आयरन युक्त भोजन जैसे हरी सब्जियां, दाल, गुड़ और अनाज के सेवन की सलाह दी गई, ताकि एनीमिया जैसी समस्याओं से बचा जा सके। साथ ही, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति जैसे जीवन के अलग-अलग चरणों में पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई।
प्रतिभागियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया
कार्यक्रम के समापन पर महिलाओं और किशोरियों ने कहा कि इस सत्र ने उन्हें मिथकों से मुक्त किया और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी। कई प्रतिभागियों ने साझा किया कि अब वे अपने परिवार और समुदाय की अन्य महिलाओं को भी इन जानकारियों से अवगत कराएँगी।
चेयरपर्सन प्रो. एसएस रजी व अन्य ने रखे आपने विचार
इस अवसर विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के चेयरपर्सन प्रो. (डॉ.) एसएस रजी ने कहा कि जागरूकता ही सशक्तिकरण की कुंजी है। ऐसे कार्यक्रम न केवल महिलाओं में जागरूकता लाते हैं, बल्कि समाज में समानता और सशक्तिकरण की नींव भी रखते हैं। विकसित भारत का सपना तभी पूरा होगा जब हमारी माताएं और बहनें स्वस्थ और सशक्त होंगी।
विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति की प्रेसाइडिंग ऑफिसर डॉ. चारु वाधवा ने कहा कि महिलाओं को स्वास्थ्य और अधिकार संबंधी जानकारी से सशक्त बनाना ही इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। किशोरावस्था से सही शिक्षा मिलने पर अगली पीढ़ी और भी आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनेगी।
वहीं, स्कूल ऑफ नर्सिंग की प्राचार्य प्रो. जीनु एनी जोसेफ ने छात्राओं की सराहना करते हुए कहा कि हमारी नर्सिंग छात्राएं समाज में परिवर्तन की वाहक हैं। इनके प्रयास से यह संदेश घर-घर तक पहुंचेगा कि मासिक धर्म से जुड़े मिथक तोड़कर स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। आयोजकों ने विश्वास जताया कि भविष्य में भी ऐसे जन-जागरूकता कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जाते रहेंगे, ताकि जागरूकता से आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में समाज और आगे बढ़े।