आयुष्मान भारत से क्यों किनारा कर रहे निजी अस्पताल ? IMA ने बताई बड़ी वजह

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नई दिल्ली। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का उद्देश्य देश की 40 प्रतिशत आबादी को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराना है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई समस्याएं सामने आ रही हैं। हाल ही में संसद के मानसून सत्र में सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के आंकड़े प्रस्तुत किए थे, जिसमें बताया गया कि इस योजना के तहत 9.84 करोड़ अस्पतालों को 1.40 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा, 41 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश (5.33 करोड़) में जारी हुए हैं।
इस योजना का अनुमान है कि इससे 55 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे।लेकिन, इन आंकड़ों के बावजूद, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इस योजना के कुछ प्रमुख पहलुओं पर सवाल उठाए हैं। IMA के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना में भुगतान में लगातार देरी हो रही है, जिससे प्राइवेट अस्पतालों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। संगठन का कहना है कि गुजरात में 2021 से 2023 के बीच अस्पतालों का 300 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है, जबकि केरल में यह आंकड़ा 400 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इसके अतिरिक्त, देशभर में लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है, जिससे अस्पतालों में असंतोष बढ़ रहा है।
IMA का यह भी आरोप है कि योजना के तहत भुगतान की प्रक्रिया बहुत जटिल है, जिससे अस्पतालों को अतिरिक्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के कारण कई प्राइवेट अस्पताल इस योजना में शामिल होने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस योजना के तहत मिलने वाले भुगतान उनके इलाज की लागत के मुकाबले बहुत कम होते हैं। इसके साथ ही, IMA का यह भी कहना है कि इस योजना की जटिलताओं के कारण छोटे अस्पतालों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर के 31,466 अस्पतालों में से 14,000 प्राइवेट अस्पताल शामिल हैं, लेकिन वर्तमान में इन अस्पतालों के लिए योजना के लाभ का एहसास नहीं हो पा रहा है। भुगतान की देरी और जटिल प्रक्रियाओं के कारण कई प्राइवेट अस्पताल इस योजना को छोड़ने का विचार कर रहे हैं। इस मुद्दे का समाधान जल्द न निकलने पर, सरकार को इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए भुगतान प्रणाली और प्रक्रिया को सरल और समयबद्ध बनाना होगा, ताकि इसका उद्देश्य देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों तक सही तरीके से पहुंच सके।