October 19, 2025

चुनाव आयोग ने किया बिहार में विशेष पुनरीक्षण अभियान‚ 35 लाख मतदाता लापता पाए गए

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सर्च न्यू सच के साथ – बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस विशेष पुनरीक्षण के पहले चरण के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के लगभग 35 लाख मतदाता लापता पाए गए हैं या अपने पंजीकृत पते से स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं।

इस पर राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है और मतदाता सूची की शुद्धता पर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की हैं।चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को यह घोषणा की थी कि वह संवैधानिक कर्तव्य के तहत और मतदाता सूची की अखंडता बनाए रखने के लिए गहन पुनरीक्षण करेगा।

इस अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची में मौजूद फर्जी, अयोग्य, और दो स्थानों पर पंजीकृत मतदाताओं के नामों को हटाना है। चुनाव आयोग का यह कदम बिहार के मतदाता पंजीकरण की व्यवस्था में संभावित प्रणालीगत खामियों को उजागर करता है।

राज्य के चुनाव अधिकारी द्वारा दिए गए बयान में यह भी कहा गया कि पुनरीक्षण के बाद जिन 35 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे, उन सभी का स्थायी रूप से पंजीकरण किसी न किसी कारण से असमर्थता के कारण खत्म हो जाएगा। हालांकि, इस निर्णय पर राजनीतिक दलों ने विरोध जताया है।

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि चुनाव आयोग इस विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का उपयोग नागरिकता की जांच करने के लिए कर रहा है और यह प्रक्रिया मतदाता अधिकारों के हनन का कारण बन सकती है।इसके बावजूद, चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी नागरिकता को समाप्त कर दिया गया है।

आयोग ने आश्वासन दिया है कि यदि किसी नागरिक का नाम हटता है, तो भी वह अपनी नागरिकता को बनाए रखेगा, और यदि आवश्यक हो तो नागरिकता से संबंधित दस्तावेजों की मांग की जा सकती है। चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सूची में केवल योग्य और सही मतदाता ही शामिल हों।इस विशेष पुनरीक्षण अभियान को 25 जून से लेकर 26 जुलाई 2025 तक पूरा किया जाना है। हालांकि, बिहार में इसका असर पहले ही महसूस होने लगा है, और यह देखते हुए कई राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से इस अभियान पर नजर बनाए हुए हैं।