देवघर एम्स के पहले दीक्षांत समारोह में महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने जताया भावुक जुड़ाव, आदिवासी गांवों के लिए एम्स की पहल को बताया प्रेरणादायक

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देवघर।देवघर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में शुक्रवार को पहला दीक्षांत समारोह ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ, जिसमें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। अपने संबोधन में राष्ट्रपति भावुक हो गईं और एम्स से अपने पुराने जुड़ाव को याद करते हुए इसे “जीवन का गौरवपूर्ण क्षण” बताया।राष्ट्रपति ने कहा कि जब 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवघर एम्स की आधारशिला रखी थी, तब वे झारखंड की राज्यपाल थीं और अब इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने पर गर्व महसूस कर रही हैं।
डॉक्टरों को बताया ‘हाथ-पैर वाले भगवान’महामहिम मुर्मू ने देवघर को भगवान शिव की नगरी बताते हुए कहा, “मैं भगवान में विश्वास रखती हूं, लेकिन भगवान के पास हाथ-पैर नहीं होते, डॉक्टर ही वो ‘हाथ-पैर वाले भगवान’ हैं, जो धरती पर सेवा के लिए भेजे गए हैं।”उन्होंने कहा कि आज आम जनमानस डॉक्टर की सलाह पर उतना ही भरोसा करता है जितना किसी धार्मिक ग्रंथ पर।
एम्स देवघर बना ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा का आदर्शराष्ट्रपति ने एम्स देवघर द्वारा पांच आदिवासी गांवों को गोद लेकर किए गए स्वास्थ्य सुधार प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि एम्स की यह पहल अन्य संस्थानों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है और भविष्य में और अधिक गांवों को इस अभियान से जोड़ा जाना चाहिए।उन्होंने आशा जताई कि यह संस्थान न सिर्फ मेडिकल शिक्षा बल्कि ग्रामीण व जनजातीय स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगा।