मणिमहेश कैलाश यात्रा से लौटा श्रद्धालुओं का जत्था

पवन ने पाँचवीं बार पार की कठिन राह
जमशेदपुर : हिमाचल की ऊँची चोटियों और कठिन राहों से गुजरती मणिमहेश कैलाश यात्रा एक बार फिर आस्था और विश्वास का अद्भुत संगम बना. चंबा जिले के भरमौर से 21 किलोमीटर पैदल सफर कर समुद्र तल से लगभग 13,385 फीट की ऊँचाई पर स्थित मणिमहेश झील तक पहुँचना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन भगवान भोलेनाथ के जयकारों के बीच इस बार भी श्रद्धालु इसके दर्शन कर सकुशल लौटे. जत्था में शामिल पवन अग्रहरि ने पाँचवीं बार इस पवित्र कैलाश यात्रा को पूरा किया.
मणिमहेश यात्रा का इतिहास करीब ग्यारह सौ साल पुराना है. मान्यता है कि चंबा के राजा साहिल वर्मन ने यहीं तप कर भोलेनाथ के दर्शन किए थे. तभी से यह यात्रा शुरू हुई और आज लाखों भक्त अपनी श्रद्धा के साथ यहाँ पहुँचते हैं. 21 किलोमीटर की यह कठिन यात्रा पत्थरीले रास्तों, खड़ी चढ़ाइयों और ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी के बीच पूरी करनी होती है. इसी कारण इस बार हिमाचल सरकार ने फिटनेस टेस्ट को अनिवार्य कर दिया है.
शहर के व्यवसायी पवन अग्रहरि का यह पांचवा दर्शन रहा. उनका कहना है कि यहां की राह कठिन जरूर है, लेकिन श्रद्धा की ताकत हर मोड़ पर सहारा देती है. यह सिर्फ यात्रा नहीं, आत्मा का शुद्धिकरण है.