October 18, 2025

कुड़मी को आदिवासी बनाने की मांग के विरोध में आदिवासी संस्थाओं का प्रदर्शन

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साकची आमबागान मैदान से निकली जन आक्रोश महारैली

जमशेदपुर : आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले साकची आमबगान से आदिवासी जन आक्रोश महारैली निकाली गई, जो उपायुक्त कार्यालय पहुँचकर ज़ोरदार प्रदर्शन किया. जनजाति समुदायों ने पारम्परिक औजार पारम्परिक वेशभूषा, पारम्परिक वाद्य यन्त्रो के साथ प्रदर्शन किया. यह महारैली कुर्मी /कुरमी महतो समुदाय को जनजाति सूची में शामिल करने की माँग के विरोध में किया गया. प्रदर्शन में सभी 33 आदिवासी समाज के सामाजिक संगठन पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था मानकी मुंडा संघ, मांझी परगना महाल ने एकजुट होकर भारत की राष्ट्रीपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन सौपा. महारैली में भाग लेने वाले आंदोलनकारी विभिन्न विभिन्न मार्गों से चलकर साकची स्थित आमबगान मैदान में एकत्रित हुए और उपायुक्त कार्यालय में प्रदर्शन किए.
विगत दिनों कुर्मी /कुरमी समुदाय द्वारा रेल टेका आंदोलन किया गया था, जिसमे उनके द्वारा अनुसूचित जनजाति श्रेणी में उन्हें शामिल करने कि माँग थी.
उन्होंने कहा कि उनकी मांग अवैध है क्यूंकि जनजाति समाज की अपनी पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था है तथा हम प्रकृति के उपासक है. कहीं ना कहीं उनका यह माँग हमारे अस्तित्व, पहचान, संवैधानिक अधिकारों के लिए ख़तरा है. इसलिए हम सभी जनजातीय समुदाय उनके इस माँग का कड़ा विरोध करते है व आपसे ख़ारिज करने कि माँग करते है.
सुरा बिरुली ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 23 नवंबर 2004 को पारित प्रस्ताव में कुरमी/महतो को आदिवासी सूची में शामिल करने हेतू अनुशंसा केन्द्र सरकार को प्रेषित किया गया, जिसे केन्द्र सरकार ने भी सिरे से खारिज कर दिया.
महारैली को सफल बनाने में दुर्गाचरण मुर्मू, सुरा बिरुली, दिनकर कच्छप, राजेश, दीपक मांझी, राकेश उरांव, नन्दलाल पातर, डेमका सोय, रवि सवैया, मोहिन सिंह सरदार, उपेंद्र बानरा, ठाकुर कलुण्डिया, डीबार पुरती, जेवियर कुजूर, लालमोहन जामुदा, लालमोहन मुर्मू, सुनिल मुर्मू, पिथो सांडिल, परसो राम कर्मा, सुखलाल बिरुली, सुकराम सामद, प्रेम सामड आदि शामिल थे.