December 1, 2025

‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे’ का संदेश

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साकची गुरुद्वारा में 3 दिवसीय कीर्तन दरबार संपन्न

जमशेदपुर : गुरु नानक देव जी महाराज के प्रकाशोत्सव पर साकची गुरुद्वारा साहिब में आयोजित तीन दिवसीय कीर्तन दरबार का समापन शुक्रवार को श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में हुआ. अंतिम दिन हजूरी रागी श्री दरबार साहिब, अमृतसर के भाई सरबजीत सिंह सुचेतगढ़ ने ‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजया कौन भले को मंदे’ शबद कीर्तन प्रस्तुत कर संगत को गुरु नानक देव जी के समानता और एकत्व का संदेश दिया.
भाई सरबजीत सिंह सुचेतगढ़ ने ‘अमृत हर का नाम है वर्षे कृपा धार’ का भावपूर्ण गायन के साथ व्याख्या भी किया. पूरे कीर्तन दरबार के दौरान ‘सतनाम-वाहेगुरु’ का जाप होता रहा. संगत को भावविभोर करने वाले अन्य जत्थों में सुखमणि साहिब कीर्तन जत्था, सिख स्त्री सत्संग सभा, हजूरी रागी गुरुद्वारा साहिब साकची, भाई नारायण सिंह जी अमृतसर, ज्ञानी अमृतपाल सिंह मन्नण, भाई हरप्रीत सिंह जेठुवाल ढाढी जत्था भी शामिल रहे. आयोजन को सफल बनाने में साकची गुरुद्वारा के प्रधान सरदार निशान सिंह के नेतृत्व में परमजीत सिंह काले, अजायब सिंह बरियार, सतनाम सिंह सिद्धू, सतबीर सिंह गोल्डू, सन्नी सिंह बरियार, जसबीर सिंह गांधी, सुरजीत सिंह छीते, सतनाम सिंह घुम्मण सहित अन्य का योगदान रहा.

अमृतपान कर 19 व्यक्ति बने गुरु के सच्चे सिख

श्री गुरु नानक देव जी महाराज के प्रकाश पर्व पर टेल्को गुरुद्वारा साहिब में आयोजित अमृत संचार समागम ने 19 श्रद्धालुओं को गुरु गोबिंद सिंह जी के खालसा पंथ की पवित्र मर्यादा में दीक्षित कर गुरु के सच्चे सिख बने. यह धार्मिक आयोजन धर्म प्रचार कमिटी अकाली दल के तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें पंज प्यारे की पवित्र सेवा ने गुरु साहिब की कृपा से नवदीक्षित सिखों को अमृत छकाया. टेल्को गुरुद्वारा परिसर में ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह’ की जयकारे के बीच अकाली दल के प्रधान जत्थेदार सुखदेव सिंह खालसा, रविन्द्र सिंह, हरजीत सिंह, रबीन्द्रपाल सिंह तथा प्रीतपाल सिंह ने पंज प्यारे के रूप में गुरु ग्रंथ साहिब जी के समक्ष खड़े होकर खंडे-बाटे की पावन मर्यादा का पालन किया. खंडे-बाटे की पाहुल तैयार कर 19 श्रद्धालुओं को अमृत पान कराया तथा केस, कृपाण, कड़ा, कंघा और कच्छेरा की पवित्र रहत मर्यादा सिखाते हुए उन्हें गुरु के वचन अनुसार और खालसा पंथ के सिद्धांत पर चलने की सीख दी गई. अमृत संचार में चरणजीत सिंह ने ग्रंथी सिंह के रूप में जबकि जतिंदर सिंह, गुरदेव सिंह, रितिक सिंह, हरजिंदर सिंह तथा अमृतपाल सिंह ने सेवादार के रूप में अन्य व्यवस्थाओं का संचालन किया.