जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान को किया नमन
एनआईटी में गरिमा के साथ मना गौरव दिवस, समाजसेवी रतन तिर्की रहे मौजूद
जमशेदपुर : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में जनजातीय गौरव दिवस उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया. इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का स्मरण करते हुए भारत के जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान को नमन किया गया. इस अवसर पर प्रसिद्ध जनजातीय नेता एवं समाजसेवी रतन तिर्की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. अपने संबोधन में श्री तिर्की ने जनजातीय पहचान, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला तथा विद्यार्थियों को समानता, गरिमा और संघर्षशीलता के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासी जननायकों के आंदोलन का ही परिणाम है कि आदिवासी समाज समुदाय आज सम्मान के साथ जी पा रहा है. इसलिए संघर्ष जारी रखना होगा.
इस अवसर पर भारत के संविधान की उद्देशिका को मुख्य अतिथि की उपस्थिति में सामूहिक रूप से पढ़ा गया. श्री तिर्की ने स्मरण कराया कि झारखंड से तीन प्रमुख जनजातीय प्रतिनिधि जयपाल सिंह मुंडा, देवेंद्र नाथ सामंत, और बोनिफास लकड़ा संविधान सभा के सदस्य थे. जनजातीय नायकों के इस गौरवशाली इतिहास को आनेवाली पीढिय़ों तक पहुंचाना आवश्यक है. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) पर उन्होंने बताया कि इसके निर्माण की प्रेरणा भगवान बिरसा मुंडा से मिली थी. इस अधिनियम का प्रारूप जे बी हॉपमैन द्वारा 1903 में तैयार किया गया था और इसे 1908 में लागू किया गया.
मौके पर प्रो. (डॉ.) गौतम सूत्रधार (निदेशक, एनआईटी जमशेदपुर) ने भगवान बिरसा मुंडा जैसे जनजातीय नायकों के त्याग और योगदान को स्मरण करने के महत्व पर बल दिया. उप निदेशक प्रो. आर. वी. शर्मा, कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. एस. के. सारंगी, तथा डीन (छात्र कल्याण) डा. आर पी सिंह ने भी भारत की समृद्ध जनजातीय धरोहर पर अपने विचार साझा किए.
