देश के लिये वरदान साबित हो सकता है राष्ट्रीय शिक्षा नीति

स्वदेशी मेला में ‘वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रासंगिकता’ विषयक संगोष्ठी
सांस्कृतिक संध्या में अवनीश एंड ग्रुप के लोकनृत्य ने मोहा मन
जमशेदपुर : बिष्टुपुर गोपाल मैदान में चल रहे स्वदेशी मेला के चतुर्थ दिन प्रथम सत्र में ‘वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा प्रणाली की प्रासंगिकता’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई. संध्याबेला में सांस्कृतिक संध्या में अवनीश एवं समूह द्वारा लोकनृत्य का आयोजन किया गया. संगोष्ठी के मुख्य अतिथि नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर पी के पाणी उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा 21वीं सदी के भारत की जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को मंजूरी दी है अगर उसका क्रियान्वयन सफल तरीके से हुआ तो यह नईं प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों के समक्ष ले आएगी. उन्होंने कहा कि नई नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है.
विशिष्ट अतिथि डा. कल्याणी कबीर (प्राचार्य, रंभा कॉलेज ऑफ़ इंस्टिट्यूशन) थीं. उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली पूर्व में गुरुकुल परंपरा की शिक्षा प्रणाली थी जिसे पढक़र बच्चों के अंदर नैतिकता व संस्कार आते थे. आज पुन: आवश्यकता है कि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से इन प्रणालियों को बढ़ावा दें.
मुख्य वक्ता राजेंद्र विद्यालय घुटिया की प्राचार्य खुशबू ठाकुर थीं. उन्होंने विश्वास जताया कि शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में भी काफी प्रतिभाएं छुपी होती हैं, जिसे हम सभी को मिलकर निखारना है और उन्हें एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है. संगोष्ठी की अध्यक्षता स्वदेशी जागरण मंच के बंदे शंकर सिंह ने की. संगोष्ठी के संयोजक डॉक्टर कमलेश कुमार कमलेंदु ने विषय प्रवेश कराया तथा मंच का संचालन प्रोफेसर नवनीत कुमार सिंह जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रतिभा रानी मिश्रा ने किया.
सांस्कृतिक संध्या के मुख्य अतिथि ‘चमकता आईना’ के संपादक जयप्रकाश राय एवं उद्गम संस्था की संस्थापक सोनिया सिंह थीं. मेले में से अशोक गोयल, मंजू ठाकुर, अमित मिश्रा, केपी चौधरी, अशोक सिंह, राजाराम, संजय कुमार, मनोज गुप्ता इत्यादि उपस्थित रहे.