जल, जंगल, ज़मीन की लड़ाई में गुरुजी की भूमिका से कराया अवगत
लंदन के ससेक्स विश्वविद्यालय में पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने दिया व्याख्यान
जमशेदपुर : ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ससेक्स विश्वविद्यालय के विश्व पर्यावरण इतिहास सेंटर के आमंत्रण पर लंदन पहुँचे पूर्व विधायक सह झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने ‘जोहार’ के साथ व्याख्यान की शुरुआत की. उन्होंने 150 साल लंबे झारखंड के जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के इतिहास के नायक रहे सिद्धों कान्हो से लेकर बिरसा मुंडा तक के योगदान के बारे में बताया. बताया कि देश के स्वाधीनता के लिए अंग्रेज़ों की लड़ाई का बिगुल सबसे पहले 1757 मे भोगनाडीह से फूंका गया था. कुणाल ने कहा कि आजादी के बाद देश के इतिहास में सबसे बड़े आदिवासी नेता के रूप में जयपाल सिंह और शिबू सोरेन उभरे. महाजनी प्रथा के खिलाफ निर्णायक लड़ाई गुरू जी ने लड़ी. जयपाल सिंह मुंडा के बाद झारखंडी अलग राज्य के निर्माण और उसके बाद आदिवासियो के हितों को लेकर लड़ने वाले नेताओं में गुरूजी निर्विवाद रूप से भारत के सबसे बड़े चेहरे रहे. अंतराष्ट्रीय मंचों पर उनकी प्रेरणादायक जीवनी पर बातें होनी चाहिए. भ्रष्टाचार के आरोपों से न्यायालय ने मुक्ति दे दी है परंतु एक साज़िश की तहत अब भी कुछ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मीडिया या मंचों पर झारखंड के प्रति उनके योगदान को वह जगह नहीं मिली जिसके वह हकदार हैं.
उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि झामुमो की स्थापना के पीछे शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो और ए के रॉय जैसे महापुरुषों की यह सोच थी ताकि स्थानीय मुद्दों को एक सशक्त राजनीतिक आवाज़ दी जा सके. इस काम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में आगे बढ़ाने पर काम हो रहा है. आज उनके द्वारा शुरू किए गए मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा छात्रवृत्ति से हर वरीय मेधावी झारखण्डी विद्यार्थी ब्रिटेन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर पा रहे है. इस अवसर पर रांची की त्रिनिशा और खूँटी की उषा से भी कुणाल ने मुलाकात की जो इस छात्रवृत्ति के माध्यम से ससेक्स विश्वविद्यालय मे शिक्षारत हैं. दोनों ने इस मौके के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का धन्यवाद दिया. कुणाल ने ससेक्स विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय उप प्रो वी सी सिमोन थोंपसन, सेंटर ऑफ वर्ल्ड इनवायरन्मेंट हिस्ट्री की निर्देशक विनीता दामोदरन और व्याख्यान के संयोजक प्रोफेसर सौम्या नाथ का आभार जताया कि उन्होंने अपने व्याख्यान कैलेंडर में झामुमो के संघर्ष और शिबू सोरेन की जीवनी पर चर्चा को स्थान दिया. कुणाल ने बताया कि आने वाले समय में ससेक्स विश्वविद्यालय और झारखण्ड के शैक्षणिक संस्थानों के बीच एक्सचेंज कार्यक्रम और कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर साझेदारी बनेगी. विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों की टीम अगले वर्ष जनवरी में इस संबंध को और प्रगाढ़ बनाने हेतु रांची आएगी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेगी.
