October 22, 2025

कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन कल से, रेलवे ने की तैयारी

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हावड़ा-मुंबई मार्ग पर सबसे अधिक पड़ेगा असर, दर्जनों ट्रेनों का बदलना पड़ेगा मार्ग

खड़गपुर : झारखंड, प. बंगाल और ओडिशा में कुड़मी समुदाय ने आदिवासी दर्जे के लिए फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है. कुड़मियों ने कल, 20 सितंबर से ‘रेल रोको’ और ‘रास्ता जाम’ करने का एलान किया है. आदिवासी समाज इसका विरोध कर रहा है, जिससे टकराव की आशंका है. कुड़मी नेताओं का कहना है कि दर्जा न मिलने से उनके अधिकारों का हनन हो रहा है.
कुड़मी समाज ने अपनी मांगों के समर्थन में 20 सितंबर से रेल टेका (रेल रोको) और डहर छेका (रास्ता जाम) का एलान कर दिया है. यह अनिश्चितकालीन आंदोलन होगा. इससे पहले वर्ष 2023 में भी ऐसे आंदोलन के दौरान बंगाल के खेमासुली, कस्तौर, पुरुलिया, झारग्राम, झारखंड के मुरी, गोमो, नीमडीह, घाघरा, हंसडीहा, छोटा गम्हरिया, डुमरी, गंजिया बराज समेत ओडिशा के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर भी समुदाय के लोगों ने रेल चक्का जाम कर दिया था. रेल रोकने के कारण सैकड़ों ट्रेनें प्रभावित हुई तो लाखों की संख्या में यात्री परेशान हुए थे. इसका सबसे अधिक असर हावड़ा-मुंबई मार्गपर पड़ा था. खड़गपुर मंडल रेल प्रशासन ने रेल रोको आंदोलन को लेकर अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) मनीषा गोयल की अगुवाई में इस परेशानी से निपटने की तैयारियों की जानकारी दी.
सुश्री गोयल ने मीडिया को बताया कि आदिवासी कुड़मी समाज ने रेलवे को ज्ञापन सौंपकर सात अलग-अलग स्टेशनों – मिदनापुर, कलाईकुंडा, खेमासुली, नीमपुरा, गालूडीह, भंजपुर और बारीपदा पर विरोध प्रदर्शन करने की अपनी मंशा व्यक्त की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन गैर-रेल संबंधी मांगों को लेकर किया जा रहा है, और कुड़मी समाज से आग्रह किया गया है कि इस क्षेत्र में आवश्यक यात्री और माल ढुलाई की जीवनरेखा माने जाने वाले रेल परिचालन को बाधित करने के बजाय संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी बातों को रखें.
सुश्री गोयल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस व्यस्त त्यौहारी सीज़न के दौरान किसी भी तरह की बाधा से लाखों यात्रियों को गंभीर असुविधा होगी, पूरे नेटवर्क में रेलगाड़ियों में देरी होगी और कोयला, खाद्यान्न, पेट्रोलियम उत्पाद और उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही भी प्रभावित होगी.

रेलवे ने भी कर रखी है तैयारी
रेल प्रशासन ने राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर सक्रिय दृष्टिकोण अपनायेगा.
सभी संवेदनशील स्टेशनों, विशेष रूप से चिन्हित सात विरोध स्थलों पर आरपीएफ और जीआरपी की तैनाती,
ट्रेनों या पटरियों को अवैध रूप से बाधित करने के प्रयास का जवाब देने के लिए क्यूआरटी का गठन, सूचना साझा करने के लिए जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ समन्वय प्रकोष्ठ स्थापित किये गये है.
रेलवे परिसर में तोड़फोड़ या अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए पटरियों, यार्डों और स्टेशन क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गयी है. भीड़ के एकत्र होने की पूर्व चेतावनी के लिए सोशल मीडिया और खुफिया सूचनाओं की कड़ी निगरानी की गई है.
24 घंटे निगरानी और संचार सुनिश्चित करने के लिए मंडल मुख्यालयों पर आपातकालीन नियंत्रण कक्ष सक्रिय है.