सर्च न्यूज , सच के साथ : द पोयट विदिन :
एक तिश्नगी है ज़िंदगी
एक आहिस्ता असर है।
वफ़ा, ज़फा, साथ, जुदाई
मिलकर एक भंवर है ।
आ ज़िंदगी ज़रा आजमा लें
कौन यहां अजर अमर है ।
कभी मिलाए कभी चुराए
ज़िंदगी एक ऐसी नज़र है।
नाम दे ज़िंदगी को ‘आजिज़’
कभी धर, कभी अधर है।
डॉ मनोज आजिज़