नक्शा पास करने में देरी पर कोर्ट नाराज़‚ नगर निगम से मांगा जवाब

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सर्च न्यूज़ सच के साथ – रांची नगर निगम द्वारा नक्शा पास करने में हो रही अनावश्यक देरी पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट तौर पर पूछा कि जब कानून के अनुसार एक महीने के भीतर नक्शा पास होना चाहिए, तो फिर यह प्रक्रिया महीनों तक क्यों लटकी रहती है।
यह मामला कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवेलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) की ओर से दायर जनहित याचिका के तहत उठा। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि अगर एक माह में कोई निर्णय नहीं होता, तो चार महीने तक लंबित फाइल को डिम्ड स्वीकृति माना जाना चाहिए — जो कि कानून में स्पष्ट रूप से प्रावधानित है।कोर्ट ने इस सुझाव को गंभीरता से लिया और याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव कोर्ट के समक्ष विधिवत रूप से पेश करें।
मामले की अगली सुनवाई अब 19 अगस्त को तय की गई है।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर प्रशासक से सीधे पूछा कि नक्शा पास करने की प्रक्रिया में इतनी देरी क्यों हो रही है। इस पर प्रशासक ने बताया कि अभी पर्याप्त संख्या में लीगल अफसरों की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जिस कारण फाइलें लंबित हो रही हैं।कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक आवश्यक अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक पहले की प्रणाली के अनुसार कार्यवाही जारी रखी जाए और काम की गति बढ़ाई जाए। कोर्ट को बताया गया कि पहले चरणबद्ध तरीके से लीगल अफसर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपते थे, लेकिन अब यह जिम्मेदारी अपर प्रशासक को दे दी गई है। साथ ही नियमों में बदलाव का प्रस्ताव सरकार के पास लंबित है।रांची नगर निगम की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि 25 अप्रैल से नक्शा पास करने की प्रक्रिया दोबारा शुरू कर दी गई है। वर्तमान में सहायक लीगल अफसर को लीगल अफसर का प्रभार दिया गया है ताकि प्रक्रिया बाधित न हो।अब इस पूरे मामले पर झारखंड हाईकोर्ट की सीधी नजर है और आगामी 19 अगस्त को अगली सुनवाई के दौरान स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद है।