नेमरा गांव में दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पारंपरिक श्राद्ध कर्म

रामगढ़ (नेमरा)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म का आयोजन गुरुवार को उनके पैतृक गांव नेमरा में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया। इस अवसर पर उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘तीन कर्म’ विधि का पालन करते हुए अपने पिता को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।पुत्र धर्म निभाते दिखे हेमंत सोरेनश्राद्ध कर्म के दौरान हेमंत सोरेन की छवि एक मुख्यमंत्री की नहीं, बल्कि एक संवेदनशील पुत्र की रही। उन्होंने पूरे विधि-विधान और भावनात्मक जुड़ाव के साथ अनुष्ठान में भाग लिया।
उनकी भाव-भंगिमा ने स्पष्ट कर दिया कि यह आयोजन उनके लिए केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि गहरा पारिवारिक और निजी क्षण था।सीता सोरेन की मौजूदगी ने दिया भावनात्मक संदेशइस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि परिवार से काफी समय से दूरी बनाए रखने वाली सीता सोरेन भी समारोह में शामिल हुईं। हाल के वर्षों में उन्होंने राजनीतिक रूप से कई तीखे बयान दिए थे, लेकिन इस शोक के क्षण में उनका उपस्थित होना पारिवारिक एकता और भावनात्मक समरसता का परिचायक बना।पारिवारिक मतभेद हुए दरकिनारश्राद्ध कर्म के दौरान सोरेन परिवार के सभी सदस्य एक साथ नजर आए।
सीता सोरेन भले ही चुप रहीं, लेकिन उनकी उपस्थिति ने यह दिखा दिया कि कठिन समय में रिश्ते राजनीति से ऊपर होते हैं। पूरा परिवार एकजुट दिखा और अपने पूर्वज नेता को सम्मानपूर्वक विदाई दी।विरासत को सम्मान देने का प्रतीकयह आयोजन न केवल आदिवासी परंपराओं का सम्मान था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शिबू सोरेन की राजनीतिक और सामाजिक विरासत को पूरा परिवार मिलकर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। यह क्षण पूरे झारखंड के लिए भी एक सांस्कृतिक और भावनात्मक संदेश बन गया।