नव्य मानवतावाद: जीव-जंतुओं की सेवा ही माधव सेवा

जमशेदपुर : आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिले में आध्यात्मिक तत्व सभा का आयोजन किया जा रहा है। आनंद मार्ग के प्रचारक सुनील आनंद ने सभा में कहा कि नव्य मानव सेवा ही माधव सेवा है। यह सेवा केवल मनुष्य की नहीं, बल्कि सृष्टि के हर जीव-जंतु, पेड़-पौधों की भी है। उन्होंने कहा कि यह पूरी सृष्टि माधव की मानसिक परिकल्पना है। सब कुछ उनके मन के भीतर घटित हो रहा है।
सुनील आनंद ने कहा कि पृथ्वी पर मनुष्य के अलावा अनेक प्रकार के जीव-जंतु भी जीवन जी रहे हैं। मनुष्य सबसे बुद्धिमान जीव है, इसलिए उसका कर्तव्य है कि वह अन्य जीवों की सेवा करे। उन्होंने कहा कि सेवा करने से भले ही जीव खुश हों या नहीं, लेकिन माधव जरूर प्रसन्न होते हैं। क्योंकि उनके बच्चे अपने संस्कारों के कारण कष्ट झेल रहे हैं। जो उनके कष्ट को दूर करने में सहायक होता है, उस पर परमात्मा का विशेष स्नेह बढ़ता है। जैसे कोई माता-पिता तब खुश होते हैं जब कोई उनके बच्चों से प्रेम करता है, वैसे ही जब हम परमपिता के बच्चों की सेवा करते हैं, तो परमात्मा का स्नेह सेवक के प्रति और बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि आज का मानव अनेक प्रकार की कुंठाओं से ग्रसित है। इसी कारण वह अपने और अन्य जीवों के बीच सही संबंध नहीं समझ पा रहा है। यह कुंठा समाज को परस्पर विरोधी गुटों में बांट रही है। विरोध के कारण समाज को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि मानवता के नाम पर जो कुछ हो रहा है, उसमें भी जाति, मजहब और भू-भाव की प्रवृत्ति छिपी हुई है।
सुनील आनंद ने बताया कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इस कमी को दूर करने के लिए समाज की धारणा को विस्तृत किया। उन्होंने पशु-पक्षी, पेड़-पौधों को भी भाई-बहन के रूप में देखा। इसी सोच को नव्य मानवतावाद कहा गया। उन्होंने कहा कि मानवतावाद ही अंतिम आदर्श नहीं है। मनुष्य के अलावा भी पृथ्वी पर अनेक जीव हैं, जिनकी सेवा भी जरूरी है।