बैसरन घाटी में 26 निर्दोषों की हत्या करने वाले तीनों आतंकी ढेर, अमित शाह ने लोकसभा में कहा—आतंक के हर चेहरे को खत्म किया जाएगा

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में ज़ोरदार बहस जारी है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विपक्ष को घेरते हुए जानकारी दी कि पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीन गुनहगारों को भारतीय सेना ने ऑपरेशन महादेव के तहत मुठभेड़ में ढेर कर दिया है। उन्होंने सदन में बताया कि मारे गए आतंकियों के पाकिस्तान से संबंध के स्पष्ट सबूत मिले हैं।सोमवार को इस मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी, जो देर रात 1 बजे तक चली।
विपक्ष की ओर से उप नेता गौरव गोगोई ने तीखा हमला करते हुए सरकार से कई सवाल किए थे। मंगलवार को चर्चा के दूसरे दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जैसे बड़े नेताओं के बोलने की सूची में शामिल होने से राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया।राज्यसभा में भी आज से ऑपरेशन सिंदूर पर बहस शुरू हो चुकी है, जिसकी अगुवाई दोपहर 2 बजे से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं।
उच्च सदन में भी सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है।इस बीच, अखिलेश यादव ने सरकार की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि “हमें पाकिस्तान से नहीं‚ चीन से अधिक खतरा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि चीन भारतीय ऑटो उद्योग को प्रभावित करने के लिए दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति रोक रहा है। बुलेट ट्रेन परियोजना में लगने वाली सुरंग मशीनों के कलपुर्जों की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है।
अखिलेश ने अग्निवीर योजना की आलोचना करते हुए उम्मीद जताई कि सरकार इसे वापस लेगी। उन्होंने कहा कि भारत आत्मनिर्भर बनने की बात तो करता है‚ लेकिन व्यवहार में चीन पर निर्भर होता जा रहा है। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब सैटेलाइट टेक्नोलॉजी है‚ तो पुलवामा हमले में इस्तेमाल हुई गाड़ी का रूट आज तक क्यों नहीं पता लगाया जा सका।साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि विपक्ष ऑपरेशन महादेव में आतंकियों के मारे जाने की सराहना कर रहा है‚ तो सरकार इसे राजनीतिक लाभ उठाने का अवसर क्यों बना रही है। उन्होंने बीजेपी के सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए राजनीतिक कार्टूनों की आलोचना करते हुए कहा कि यह पार्टी की मानसिकता दर्शाता है और इस प्रकार के प्रचार की संसद में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।