रातों की नींद कोई उड़ाता गया -डॉ मनोज ‘आजिज़’

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सर्च न्यूज , सच के साथ : जमशेदपुर
रातों की नींद कोई उड़ाता गया
सितारों से बात मैं करता गया
खुद को आईने के पास खड़ा किया
दरिया-ए-दिल फिर बहता गया
आँखें तो कई दफ़ा पिघलीं मगर
हर बार खुद ही सम्हलता गया
सफ़र-ए-हयात में आए कई नदीम
कोई भाया कोई जी चुराता गया
आग अपने दिए ग़ैरों ने हवा
चराग़े जश्न यूँ जलता-बुझता गया
कवि का परिचय:
डॉ मनोज आजिज़ बहुभाषीय कवि समीक्षक के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं जिनका मूल नाम डॉ मनोज कुमार पाठक है।वे अर्क जैन विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के सहकारी प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।उनकी ११ कविता ग़ज़ल का संग्रह प्रकाशित हो चुका है और वे पिछले दो दशक से अकाशवाणी से भी जुड़े हैं।