…तड़प की आरजू को वो फना होने नहीं देता’
धनबाद से शहर पहुंचे शायर मेराज अहमद, सम्मान में काव्य गोष्ठी
जमशेदपुर : मानगो सुंदरबन कॉलोनी स्थित प्रो अहमद बद्र के निवास पर कुल्टी (धनबाद) से आए उर्दू के शायर मेराज अहमद मेराज के सम्मान में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता अनवर अदीब ने की. शायर अहमद बद्र ने श्री अहमद का परिचय दिया. गोष्ठी में शहर के कई शायर शामिल हुए और अपनी रचनाएं प्रस्तुत की जिनमें अहमद बद्र, गौहर अजीज, रिजवान औरंगाबादी, सईद अहसन, नजीर अहमद नजीर, सद्दाम गनी, सफीउल्लाह सफी, सकलैन मुश्ताक तथा शोएब अख्तर के नाम प्रमुख हैं. कार्यक्रम का संचालन शायर गौहर अजीज ने किया.
गोष्ठी में पढ़ी गई गजलों के कुछ शेर इस प्रकार है. मौके पर गौहर अजीज ने गजल प्रस्तुत की ‘बदलने वाले हैं हालात मुल्क के अपने, ये बात एक खबर के सिवा कुछ और नहीं.’ सईद अहसन ने प्रस्तुत किया ‘कोशिशें मौजों से लड़ते-लड़ते थककर सो गईं, डूबनेवाले की आंखों में किनारा रह गया.’ इसी तरह सफीउल्लाह सफी ने ‘तुम्हारी याद जब आने लगी है, मोहब्बत पांव फैलाने लगी है.’ प्रस्तुत किया, जबकि सद्दाम गनी ने ‘दिल-ए-बिस्मिल दुआएं खैर मांगे भी तो क्या मांगे, तड़प की आरजू को वो फना होने नहीं देता’ प्रस्तुत किया. इस अवसर पर शहर से प्रकाशित हुई कुछ किताबें श्री मेराज को भेंट की गईं जिनमें असलम बद्र की पुस्तक ‘शौक हर रंग’, अफसर काजमी की ‘तिलिस्मे सफर’, अहमद बद्र की पुस्तक ‘सायबान शीशे का’, रिजवान औरंगाबादी की किताब ‘जौके सुखन’ तथा गौहर अजीज की पुस्तक ‘अंधेरे उजाले’ शामिल है.
