सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम: दिव्यांग सैन्य कैडेट्स के पुनर्वास पर केंद्र व सेना से जवाब तलब

नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए कैडेट्स के मुद्दे पर सख्ती दिखाई है। अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और रक्षा बलों से पूछा कि ऐसे कैडेट्स के लिए क्या ठोस व्यवस्था की जा रही है जिन्हें मेडिकल आधार पर संस्थानों से बाहर कर दिया जाता है।
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि केंद्र को इन कैडेट्स के लिए बीमा कवर और पुनर्वास योजना पर विचार करना चाहिए, ताकि मृत्यु या विकलांगता जैसी स्थिति में उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा मिल सके।
कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि चिकित्सा खर्च के लिए मिलने वाली अनुग्रह राशि को बढ़ाया जाए।पीठ ने टिप्पणी की –“हम चाहते हैं कि बहादुर कैडेट सेना में बने रहें। चोट या विकलांगता उनके रास्ते की बाधा नहीं बननी चाहिए, क्योंकि वे कठिन प्रतियोगी परीक्षाएं पास करके यहां तक पहुंचे हैं।
”गौरतलब है कि कोर्ट ने 12 अगस्त को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया था। रिपोर्ट में उन कैडेट्स की चुनौतियों का जिक्र था जो एनडीए और आईएमए जैसे शीर्ष सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हो गए।अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।