October 18, 2025

होरी-धनिया क्या करें? गोबर तो शहरी हुआ…: डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’

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सर्च न्यूज : सच के साथ , जमशेदपुर :”प्रेमचंद जैसे लेखक सदियों में पैदा होते हैं। आज हमारा समाज प्रेमचंद के समकालीन समाज से कितना आगे बढ़ पाया है, इसका तुलनात्मक अध्ययन करना सार्थक होगा।” प्रेमचंद जयंती के अवसर पर एल.बी. एस. एम. कॉलेज के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’ ने ये विचार व्यक्त किए।
प्रेमचंद के ज़माने और आज के गाँव की स्थितियों के बीच फर्क करते हुए डॉ. अविचल ने कहा- होरी-धनिया क्या करें? गोबर तो शहरी हुआ, छोड़ा अपना गांव! समाज में नये होरी, धनिया और गोबर की कथा कहनी होगी।

भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि आज तकनीकी स्तर पर विकास हुआ है, पर समाज की मानसिकता बहुत हद तक पुरानी ही है। पुराने सामाजिक द्वंद्व और विसंगतियां आज भी मौजूद हैं। प्रेमचंद की कहानियाँ हमारे समाज का दर्पण है। उनमें समाज के सभी हिस्से हैं, उनमें सामाजिक-आर्थिक विषमता का यथार्थ और उससे संघर्ष है, जो उनको आज भी प्रासंगिक बनाता है।

पूजा बास्के ने कहा कि प्रेमचंद ने जो देखा उसे ही सरल भाषा में लिखा। ‘ईदगाह’ में दादी के प्रति पोते की संवेदना और ‘सद्‌‌गति’ में दुखी का शोषण, जिसमें उसकी जान चली जाती है; पाठक के हृदय को झकझोर देता है।

अर्चना बारला ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी लगभग तीन सौ कहानियों और डेढ़ दर्जन उपन्यासों में ग्रामीण जीवन की समस्याओं और स्त्रियों की दुर्दशा को दर्शाया है। उनकी रचनाएँ इतनी वास्तविक और मार्मिक लगती हैं कि आदमी उसमें खो जाता है।

संचालन करते हुए डॉ. सुधीर कुमार ने कहा कि प्रेमचंद नये जनतांत्रिक भारत के वैचारिक शिल्पकार भी है और उसके भावी संकटों की ओर संकेत करने वाले भी। वे हमारे विवेक, न्यायबोध और संवेदना को जागृत करने वाले महान लेखक हैं। वे हमें संकुचित और संकीर्ण रूढ़िवादी मानसिकता से स्वतंत्र करते हैं और हमारी अंतरात्मा को विशाल बनाते हैं। सामंती,
वर्णवादी और वर्चस्ववादी पुरुष मानसिकता तथा सांप्रदायिकता, पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष में आज भी उनकी प्रासंगिकता है। इसीलिए उनके साहित्य का अध्ययन आवश्यक हो तो है।
इस मौके पर सागर मंडल, अलेख महाकुड़, गांधी बांकिरा, खुशी महतो, वंदनी झा, सुनीता माहली, नैन्सी एक्का, कविता महतो, सुष्मिता कुमारी, पिंकी सरदार, धर्मेन्द्र मुंडा, जमुना सोरेन, दुर्गा गोप, सोमवारी केराई, प्रिया डोडराय, राकेश गोप, विष्णु भक्त आदि भी मौजूद थे।