किसान, मछुआरे सब खुश… ब्रिटेन के साथ ट्रेड डील के बाद बढ़ जाएगी आमदनी; जानिए क्या-क्या एक्सपोर्ट करता है भारत

सर्च न्यूज़ सच के साथ : नई दिल्ली – भारत ने विकसित देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाते हुए गुरुवार को ब्रिटेन के साथ कंप्रेहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (सीटा) पर हस्ताक्षर किए। इस ऐतिहासिक समझौते से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।
भारत के लिए यह समझौता खासतौर पर उन क्षेत्रों में बेहद फायदेमंद साबित होगा, जो रोजगार उत्पन्न करने में अग्रणी हैं—जैसे टेक्सटाइल, लेदर व फुटवियर, इलेक्ट्रॉनिक्स, जेम्स व ज्वैलरी, इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स गुड्स, खिलौने, दवाएं और केमिकल्स। साथ ही, कृषि उत्पाद, प्रोसेस्ड फूड और समुद्री उत्पादों के निर्यात पर अब ब्रिटेन में किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगेगा।अब तक इन वस्तुओं पर 8% से लेकर 70% तक का आयात शुल्क लगाया जाता था, लेकिन सीटा के लागू होने के बाद इन पर शून्य शुल्क लगेगा।
इससे भारत के फल, सब्जियां, बासमती चावल, अचार और तैयार भोजन जैसे कृषि उत्पाद ब्रिटेन के बाजारों में सस्ते होंगे, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।इस समझौते के तहत भारतीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) अब ब्रिटेन की सरकारी खरीद प्रक्रिया में भी भागीदारी कर सकेंगे, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई संभावनाएं मिलेंगी। दोनों देशों ने वर्तमान 56 अरब डॉलर के व्यापार को वर्ष 2030 तक 112 अरब डॉलर तक ले जाने का आक्रामक लक्ष्य निर्धारित किया है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ब्रिटेन हर वर्ष 27 अरब डॉलर मूल्य के टेक्सटाइल और गारमेंट्स का आयात करता है, जिसमें फिलहाल भारत की हिस्सेदारी महज 1.79 अरब डॉलर है। अब इस समझौते से भारतीय टेक्सटाइल ब्रिटेन में बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे देशों के उत्पादों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।इसके अलावा, मंत्रालय को उम्मीद है कि लेदर और फुटवियर आइटम के निर्यात में अगले एक-दो वर्षों में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिलेगी। जहां ब्रिटेन अभी तक चीन और वियतनाम से इलेक्ट्रॉनिक्स का अधिक आयात करता था, वहीं अब शून्य शुल्क लागू होने से भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात भी तेजी से बढ़ेगा।ब्रिटेन में जेम्स और ज्वैलरी की बढ़ती मांग को देखते हुए भारत को इस सेक्टर से भी अधिक निर्यात की उम्मीद है। समझौते के अगले एक साल में लागू होने की संभावना है और यह भारत को वैश्विक व्यापारिक मानचित्र पर और मजबूती से स्थापित करेगा।