October 19, 2025

Lung Cancer Signs : बिना स्मोक किए‚ बढ़ रहा लंग कैंसर का खतरा

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सर्च न्यूज़ सच के साथ : नई दिल्ली – फेफड़ों का कैंसर अब केवल सिगरेट या बीड़ी पीने वालों की बीमारी नहीं रहा। बीते वर्षों में ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है जहां मरीजों ने कभी भी धूम्रपान नहीं किया, फिर भी उन्हें लंग कैंसर हो गया।

अमेरिकी कैंसर सोसाइटी की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में फेफड़ों के कैंसर के कुल मामलों में से लगभग 20 प्रतिशत ऐसे लोगों में पाए जाते हैं, जिन्होंने कभी स्मोकिंग नहीं की। वहीं एशिया में, खासकर महिलाओं के बीच यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक पहुँच चुका है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कई अहम कारण हैं।

सबसे बड़ा खतरा वायु प्रदूषण से जुड़ा है। वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक तत्व — जैसे पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि — सांस के साथ फेफड़ों में पहुंचकर कैंसर का रूप ले सकते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन इसे लंग कैंसर का सबसे बड़ा कारण मानता है।एक और अहम वजह है सेकेंडहैंड स्मोकिंग यानी अगर व्यक्ति खुद सिगरेट न पीता हो, लेकिन उसके आसपास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, तो इससे भी फेफड़े गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। सेकेंडहैंड स्मोक में 70 से अधिक कैंसरकारक तत्व पाए जाते हैं।इनडोर प्रदूषण भी एक छिपा हुआ रिस्क फैक्टर है — खासकर उन घरों में, जहां खाना बनाने के लिए लकड़ी, कोयला या केरोसिन जैसे ईंधन का प्रयोग होता है।

ग्रामीण भारत में अब भी चूल्हे का उपयोग आम है, जिससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं।रेडॉन गैस, जो एक रेडियोएक्टिव तत्व है और जमीन से निकलकर घरों में जमा हो सकती है, अमेरिका में लंग कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है। इसके अलावा जेनेटिक म्यूटेशन, एचपीवी संक्रमण, और टीबी जैसी बीमारियां भी लंग कैंसर के पीछे छिपे कारण बन सकते हैं।बात करें लक्षणों की, तो लंग कैंसर के संकेत अक्सर धीरे-धीरे सामने आते हैं, जिससे इसका समय रहते पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:लगातार खांसी जो ठीक न होसांस लेने में तकलीफ या घरघराहटखांसी के साथ खून आनासीने में दर्दआवाज भारी होनाबिना कारण थकान या वजन घटनाचेहरे, गर्दन या हाथों में सूजनआंख की पुतली सिकुड़ना या एक तरफ पसीना न आनाविशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्षणों को मामूली समझ कर नजरअंदाज न करें। खासकर वे लोग जो स्मोकिंग नहीं करते, लेकिन वायु प्रदूषण, इनडोर स्मोक या आनुवंशिक कारणों से प्रभावित हो सकते हैं, उन्हें सजग रहना चाहिए। समय पर जांच और इलाज से इस गंभीर बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।