फर्जी प्रमाण पत्र से दिव्यांगों का हक छीन रहे शिक्षक

जमशेदपुर : झारखंड विकलांग मंच के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने पूर्वी सिंहभूम जिले में सामने आए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के मामले में ज्ञापन सौंपा। मंच ने दोषी शिक्षकों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। शिक्षा मंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
मंच ने बताया कि लगभग 20 सरकारी शिक्षकों ने जामताड़ा जिले के स्वास्थ्य विभाग से 40 से 45 प्रतिशत दिव्यांगता दर्शाते हुए प्रमाण पत्र बनवाए। इन प्रमाण पत्रों के आधार पर उन्होंने स्थानांतरण की अनुचित मांग की। जिला शिक्षा विभाग के निर्देश पर इन शिक्षकों की जांच जमशेदपुर सदर अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से कराई गई। जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
जांच में पाया गया कि 16 शिक्षक पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनके दिव्यांगता के दावे झूठे हैं। 3 शिक्षकों की दिव्यांगता 20 से 25 प्रतिशत पाई गई, जो स्थानांतरण की न्यूनतम पात्रता 40 प्रतिशत से काफी कम है। 2 शिक्षकों ने 50 प्रतिशत दृष्टिदोष का दावा किया था, जो नेत्र विशेषज्ञों और ईएनटी डॉक्टरों की जांच में गलत साबित हुआ।
डॉ. विशेश्वर यादव ने इस मामले को गंभीर बताते हुए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 और 92 के तहत तथा जालसाजी की धाराओं में दोषियों पर विभागीय और कानूनी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने जामताड़ा जिला के मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों की भूमिका की भी जांच की मांग की।
मंच के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने कहा कि यह दिव्यांग समुदाय के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। इससे समाज में भ्रांतियां भी बढ़ती हैं। यदि शीघ्र और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो मंच उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा। प्रतिनिधिमंडल में विजय कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, राजन कुमार और मोहम्मद आलम शामिल थे।
