माउंट किलिमंजारो पर चढ़ाई कर‚ निशा ने झारखंड का नाम रोशन किया

जमशेदपुर : डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल की पूर्व छात्रा निशा आनंद ने एक बार फिर शहर का नाम रोशन किया है. अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को हाल ही में फतह कर निशा ने साहस और संकल्प की नई मिसाल पेश की है. वर्ष 2024 में निशा ने एवरेस्ट बेस कैंप तक की कठिन यात्रा पूरी की. उसके लिए उन्होंने महीनों तक सैन फ्रांसिस्को के पहाड़ी इलाकों में अभ्यास किया.
उनका आत्मविश्वास और अनुशासन ही उन्हें शिखर तक ले गया. इस यात्रा में उनके पति कीर्ति, ससुराल पक्ष और परिवार का भरपूर सहयोग रहा. किलिमंजारो की चढ़ाई उनके लिए एक नया महाद्वीप, एक नई चुनौती थी. यह दुनिया की सबसे ऊंची ‘फ्री स्टैंडिंग’ चोटी है और यहां पहुंचना मानसिक और शारीरिक दोनों दृढ़ता की परीक्षा थी पर निशा ने यह साबित कर दिया कि जब मन में संकल्प हो, तो कोई भी शिखर दूर नहीं. निशा की ये उपलब्धियां केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं हैं, बल्कि जमशेदपुर की उस परवरिश की भी झलक हैं जिसने उन्हें हर दिशा में पूर्णता की ओर बढऩे की प्रेरणा दी.
बचपन से ही साहसिक प्रवृत्ति की निशा ने स्कूल के दिनों में उत्तरकाशी और गंगोत्री जैसी कठिन जगहों की यात्राएं की. उनके साहसिक स्वभाव ने स्कूल में कई पुरस्कार और सम्मान दिलवाए और उन्हें अनजानी राहों पर चलने की प्रेरणा दी.पर्वतारोही के साथ-साथ एक सफल उद्यमी भीनिशा आनंद आज सिर्फ एक पर्वतारोही ही नहीं, बल्कि एक सफल उद्यमी और समर्पित मां भी हैं.
वे वर्तमान में सैन फ्रांसिस्को में रहती हैं और वहां कल्चर रूम बुटीक नामक फैशन स्टूडियो चलाती हैं, जहां दक्षिण एशियाई परंपराओं को आधुनिक डिजाइन के साथ जोड़ा जाता है. उनके डिज़ाइन भारतीय प्रवासी समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों में काफ़ी लोकप्रिय है.हर ट्रैक जीवन का प्रतिबिंब : निशाअपनी प्रेरणा के बारे में निशा कहती है कि हर चढ़ाई, हर ट्रैक जीवन का प्रतिबिंब है, कठिन, अनिश्चित, लेकिन बेहद संतोषजनक. पहाड़ों ने मुझे सिखाया कि यह केवल शिखर तक पहुंचने की बात नहीं है, बल्कि उस यात्रा में आप क्या बनते हैं, वही असली जीत है.